Home हिमाचल प्रदेश फलों एवं सब्जियों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सम्पन्न

फलों एवं सब्जियों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सम्पन्न

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Horticulture and Forestry
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अंबुजा फाउंडेशन के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में ‘फलों एवं सब्जियों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन’ पर दो दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया

चल समय, सोलन 13 जून।

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अंबुजा फाउंडेशन के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में ‘फलों एवं सब्जियों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन’ पर दो दिवसीय

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व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण मंडी जिले की 27 महिला प्रतिभागियों के लिए आयोजित किया गया था, जिन्हें NABARD द्वारा प्रायोजित किया गया था ।

विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को फलों और सब्जियों की

प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से आजीविका के नए अवसर सृजित करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान और तकनीकी दक्षता प्रदान करना था।

इस कार्यक्रम का समन्वयन विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश शर्मा द्वारा किया गया, जबकि विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अनिल वर्मा और डॉ. अभिमन्यु ठाकुर सह-समन्वयक रहे। प्रशिक्षण के दौरान विभाग के विषय विशेषज्ञों एवं प्राध्यापकों द्वारा संवादात्मक सत्रों

और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से प्रतिभागियों को रस और गूदा निकालना, फल आधारित पेय, फ्रूट बार/ पापड़, ऑस्मोटिक ड्राइड उत्पाद, जैम, चटनी, अचार, टमाटर सॉस और केचप बनाने की विधियों में प्रशिक्षण दिया गया।

समापन सत्र में डॉ. राकेश शर्मा ने जिसमें लघु स्तर की प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता मानक तथा लाइसेंसिंग से संबंधित

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प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। प्रतिभागियों द्वारा दी गई प्रतिक्रिया में प्रशिक्षण की सराहना करते हुए इसे अत्यंत लाभकारी बताया गया।

विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास में सहायक होने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता, आय सृजन एवं स्थानीय बागवानी उत्पादों के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देते हैं।

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