हिमाचल समय, शिमला, 08 जुलाई।
प्रदेश सरकार ने लगभग 23 वर्षों के अंतराल के बाद चिकित्सा क्षेत्र में तकनीशियन पाठयक्रमों के लिए सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है।

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यह निर्णय विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की भारी कमी के दृष्टिगत लिया गया है। इससे लंबे समय से प्रदेशभर में गुणात्मक स्वास्थ्य देखभाल सेवायें प्रदान करने पर प्रभाव पड़ रहा है
और आधुनिक मशीनों तथा अन्य उपकरणों के उपयोग के लिए प्रशिक्षित श्रम शक्ति की आवश्यकता है और इस निर्णय से प्रदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने को प्राथमिकता दे रही
है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में पैरामेडिकल स्टाफ की सीटें बहुत कम हैं और प्रदेश सरकार ने इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय टांडा,
जिला कांगड़ा में यह सीटें को बढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आईजीएमसी शिमला में बीएससी मेडिकल लेबोरेटरी तकनीक, बीएससी रेडियो और इमेजिंग, बीएससी एनेस्थीसिया
और ओटी तकनीक में प्रत्येक पाठयक्रम की सीटें 10 से बढ़ाकर 50 की गई हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय टांडा, बीएससी मेडिकल लेबोरेटरी तकनीक, बीएससी रेडियोलॉजी
और इमेजिंग तथा बीएससी एनेस्थीसिया और ओटी तकनीक में प्रत्येक पाठयक्रम की सीटें 18 से बढ़ाकर 50 की गई हैं, ताकि प्रदेश के युवाओं को राज्य में ही प्रशिक्षण प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि इस बढ़ोतरी से राज्य के अधिक युवाओं को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा, जिससे उन्हें राज्य के बाहर स्थित संस्थानों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में पदों का सृजन और उन्हें भरने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैै। इसके अलावा, नर्सिंग और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए प्रशिक्षण के अवसर भी बढ़ाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल न केवल राज्य में प्रशिक्षित मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।
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प्रदेश सरकार लोगों को उनके घर के समीप विशेषज्ञ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को एम्स दिल्ली के समान विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने वाली व्यवस्था बनाने के ध्येय से कार्य कर रहे हैं और यह पहल इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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