हिमाचल समय, सोलन, 28 अगस्त।
पुलिस की वर्दी में रहने वाले नरेंद्र सिंह पाल का एक और रूप है—गऊ माता के सच्चे सेवक का। हर दिन ड्यूटी की व्यस्तता के बीच भी जब उन्हें सड़क किनारे या मंडियों में खाने-पीने की कोई वस्तु दिखती है, तो वे उसे फेंकने की बजाय बड़ी श्रद्धा से इकट्ठा करके गौ सदन पहुँचा देते हैं।
चाहे पुलिस लाइन के पास की सब्ज़ी मंडी हो या शहर की सड़कों का किनारा—पाल जी की नज़र जैसे हर जगह गऊ माता के लिए ही खोजती रहती है।
आज भी जब उन्होंने सड़क किनारे ढेर सारे केले पड़े देखे, तो बिना देर किए उन्हें अपनी गाड़ी में रखा और सीधा गौ सदन पहुँचा दिया।
नरेंद्र सिंह पाल कहते हैं—
“सिर्फ गौ को माता कहना ही काफी नहीं है, माता की सेवा भी करनी चाहिए।”
उनकी यह निस्वार्थ सेवा देखकर हर कोई प्रभावित होता है। वो अकेले हैं पर उनका संदेश सबके लिए है—अगर हर इंसान थोड़ा-सा भी समय और प्रयास गऊ माता की सेवा में लगाए, तो सड़कों पर घूमती गायों को भूखा नहीं रहना पड़ेगा।
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पाल की यह भावना हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति वही है जो कर्म से जुड़ी हो। माँ केवल नाम लेने से नहीं, बल्कि सेवा करने से प्रसन्न होती है।